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चलो सीड बॉल बनायें ... पेड़ उगाएं।, धरती मां की सेवा करें

गर्मी की दुपहरी वैसे भी बहुत उबाऊ और लम्बी होती होती हैं लेकिन इस बार की गर्मियां चिंता लिए आई है। गर्म हवाएं सहनशक्ति से बाहर हैं। घर की दीवारों को ठंडा होने का समय ही नहीं मिल रहा। गर्मियों की रातों में सुबह होते होते ठंडक का जो अहसास होता था इस गर्मी ने उसे छीन लिया है। दोस्तों से लगातार चर्चा इस मुद्दे पर चल ही रही है ताकि पौधरोपण के लिए एक बेहतर प्रारूप तैयार हो। इसी सिलसिले में आज चर्चा के लिए जब लोगों से जुड़े तो
मालूम हुआ कि घर के बच्चों के साथ बाहर से आये उनके कजिन बैठकर प्रोजेक्ट बना रहे हैं।

आदत के मुताबिक पहले मैं बच्चों से बात करने रुकी तो इन बच्चों के पास से एक बेहतरीन जानकारी भी मिली। वो जो बातचीत में एक दुसरे को बताते थे या संस्था में कार्यक्रम के दौरान समझाइश देते थे वो ये बच्चे अपने प्रोजेक्ट में कर कर रहे हैं। बच्चों ने बताया वो उन फलों की की सूचि बना लेते हैं जो वे रोज खाते हैं। और उन सारे बीजों को सुखा रहे हैं। वे अलग अलग कागज के पैकेट्स में डाल कर लेबलिंग कर स्कूल जायेंगे।

स्कूल में इनके सीड जायेंगे और इन्हें बारिश में ऐसी जगह डाला जायेगा जहाँ ये वृक्ष का रूप लेंगे । एक बेहतरीन आईडिया है। अच्छा लगा। सबसे बड़ी बात कि वे स्कूल जो ऐसा सोच रहे हैं और अपने स्टूडेंट्स को ऐसा करने को प्रेरित कर रहे रहे हैं। एक उम्मीद दिखाई देती है कि छोटे छोटे बच्चे जब एक बार इस तरह का काम करेंगे तो ये उनके मन बैठ जायेगा की हम जो फल खा रहे हैं उससे उनके पेड़ तैयार हो सकते हैं। और आने वाले समय में वो लगातार ऐसा करते रहेंगे।

मेरा ये मानना है कि बच्चे ही क्यों हम अपने स्तर पर भी ये कर सकते हैं। यदि सभी प्रयास करें तो हम कितनी सीड बॉल बना लेंगे। कितने पेड़ उगा लेंगे।

Deepti Parmeshvari

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